संत निरंकारी मंडल ने की पोखरे की सफाई, जुटे 75 सेवादार
27 राज्य, 730 शहर और 11 सौ स्थानों पर चला स्वच्छता अभियान
संत निरंकारी मंडल ने की पोखरे की सफाई, जुटे 75 सेवादार
27 राज्य, 730 शहर और 11 सौ स्थानों पर चला स्वच्छता अभियान
बलियाः आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के तहत संत निरंकारी मिशन द्वारा स्वच्छ जल स्वच्छ मन परियोजना का आयोजन हुआ। इसके तहत देशभर के 27 राज्य, 730 शहर और 11 सौ से अधिक स्थानों पर स्वच्छता अभियान चलाया गया। इसी क्रम में बलिया जनपद के विभिन्न मंडल में भी संत निरंकारी मिशन के सेवादार जुटे और सार्वजनिक स्थलों की साफ सफाई किया। संत निरंकारी मिशन द्वारा बेल्थरारोड के बिठुआ पोखरा पर स्वच्छ जल स्वच्छ मन परियोजना के तहत स्वच्छता अभियान चलाया गया। बेल्थरारोड संत निरंकारी मंडल के ब्रांच संयोजक राजेंद्र प्रसाद के देखरेख में यहां करीब 75 की संख्या में निरंकारी भाई बहन के सेवादारों ने पोखरे और आसपास की सफाई की। प्रधान प्रतिनिधि के रुप में अरविंद गांधी ने पोखरे की सफाई की शुरुआत की और लोगों से प्राकृतिक जलाशयों के संरक्षण के लिए जागरुक किया। मंडल संयोजक राजेंद्र प्रसाद और सेवादल इंचार्ज बेचू प्रसाद ने कहा कि स्वच्छता का सीधा जुड़ाव मानव के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। साफ सफाई से हम सैकड़ों बीमारियों से बच सकते है। उन्होंने स्वच्छ जल स्वच्छ मन का संदेश दिया। इस दौरान सहयोगी सुब्बा यादव, जयप्रकाश, काशीनाथ, मुसाफिर शर्मा, धनंजय समेत अनेक निरंकारी सेवादार मौजूद रहे।
बेल्थरारोड मंडल संयोजक राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह परियोजना पूरे देश में 1100 स्थानों पर 730 शहरों, 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है। इसमें मंडल के कार्यकर्ताओं द्वारा जल निकायों को स्वच्छ एवं निर्मल बनाया जाएगा। इसके साथ ही मार्गों की सफाई और आसपास के क्षेत्रों में घूमने व चलने वाले स्थानों को सुशोभित करने के लिए पौधरोपण कर सुंदरीकरण किया जा रहा है, ताकि पर्यावरण संरक्षण का मार्ग प्रशस्त हो सके।
जल संरक्षण के लिए अमृत परियोजना का हुआ शुभारंभ
संत निरंकारी मिशन द्वारा आजादी के 75वें ‘अमृत महोत्सव’ के अवसर पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी के पावन सानिध्य में रविवार को ‘अमृत परियोजना’ के अंतर्गत ‘स्वच्छ जल स्वच्छ मन’ का शुभारम्भ किया गया। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य ‘जल संरक्षण’ तथा इसके बचाव हेतु अपनायी जाने वाली विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाना एवं उन्हें क्रियान्वित रूप देना है। इस परियोजना का मुख्य बिन्दू जल निकायों की स्वच्छता एवं स्थानीय जनता के बीच ‘जागरूकता अभियान’ के माध्यम से उन्हें प्रोत्साहित करना है। बाबा हरदेव सिंह जी द्वारा समाज कल्याण हेतु जीवनपर्यन्त अनेक कार्य किये गये। जिसमें स्वच्छता एवं वृक्षारोपण अभियान प्रमुख रहा और उन्हीं से प्रेरणा लेते हुए संत निरंकारी मिशन द्वारा निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के निर्देशन में ‘अमृत परियोजना’ का आयोजन किया जा रहा है।
संत निरंकारी मिशन के सचिव आदरणीय श्री जोगिन्दर सुखीजा जी ने इस परियोजना संबंधित विस्तृत जानकारी दी कि यह परियोजना संपूर्ण भारतवर्ष के लगभग 1100 स्थानों के 730 शहरों, 27 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में विशाल रूप से आयोजित की। यूपी के साथ ही आंध्र प्रदेश, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, गुजरात, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल में भी सक्रियता के साथ अभियान चलाया गया।
डेढ़ लाख स्वयंसेवकों ने जल संरक्षण में निभाई सक्रिय भूमिका
देशभर के 11 सौ से अधिक जागरुकता कार्यक्रम में निरंकारी मिशन के करीब डेढ़ लाख स्वयंसेवक और सेवादार अपने सहयोग द्वारा ‘जल संरक्षण’ और ‘जल निकायों’ जैसे समुद्र तट, नदियां, झीले, तालाब, कुएं, पोखर, जोहड, विभिन्न झरनों, पानी की टंकियों, नालियों और जल धाराओं इत्यादि को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने में जुट गए है। मिशन की लगभग सभी शाखाएँ इस अभियान में सम्मिलित हुई। ‘अमृत परियोजना’ के अंतर्गत भारत के दक्षिणी क्षेत्रों के मुख्य तटबंधों की स्वच्छता, जिनमें सूरत, मुम्बई से लेकर गोवा तक का कोंकण बेल्ट, मालाबार तट के कर्नाटक, केरल की तटीय रेखाओं और अरब सागर के पश्चिमी घाट की सीमा को तथा कोरोमंडल तट के दक्षिण पूर्वी तटीय क्षेत्रों को स्वयंसेवकों की टीमों द्वारा कवर किया गया। इसके अतिरिक्त पूर्व में बंगाल की खाड़ी, और दक्षिण में कावेरी डेल्टा में भी अभियान चलाया गया।
नदियांः इस अभियान में प्रमुख नदियों को भी सम्मिलित किया गया है। जिसमें मुख्यतः उत्तरी क्षेत्र से ब्यास, गंगा, यमुना और घाघरा, केंद्रीय क्षेत्र से चंबल, बेतवा, नर्मदा, कृष्णा, ताप्ती, सोन नदीय पश्चिमी क्षेत्र से साबरमती, माही, तवाय पूर्वी क्षेत्र से महानदी, गोदावरी और दक्षिणी क्षेत्र से कृष्णा, कावेरी, कोल्लिडम इत्यादि प्रमुख है।
समुद्र तटों एवं नदियों की स्वच्छता हेतु प्रयोग की जाने वाली प्रणालियां
प्रायः प्राकृतिक जल निकायों वाले क्षेत्रों में पाया जाने वाला प्लास्टिक कचरा, अपशिष्ट पदार्थ, झाड़ियाँ, अपशिष्ट खाद्य पदार्थों को हटाकर समुद्र तटों, घाटों एवं नदियों के किनारों की सफाई मिशन के स्वयंसेवकों द्वारा की गई। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक एवं कृत्रिम जल स्त्रोतों में पायी जाने वाली काई को जाली की छड़ियों और अन्य उपकरणों की सहायता से हटाया गया। इसके अतिरिक्त रास्तों की सफाई और आसपास के क्षेत्रों में घूमने एवं चलने वाले स्थानों को सुशोभित करने हेतु वृक्ष एवं अन्य झाड़ियों को स्वयंसेवकों के समूह द्वारा लगाया गया ताकि पर्यावरण हरित एवं सुंदर रहे।
जागरूकता अभियानः
यह गतिविधि सभी क्षेत्रों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, चाहे वह प्राकृतिक जल निकाय हो अथवा मानव निर्मित। इस अभियान में लोगों को जागरूक करने हेतु मुख्यतः ‘जल संरक्षण’ और ‘अच्छी जल प्रथाओं’ के बारे में संदेश प्रदर्शित करने वाले नारों, बैनरों, होर्डिंग्स का प्रदर्शन, सफाई गतिविधियों के दौरान ‘नुक्कड़ नाटिकाओं’ के माध्यम से जल के महत्व और इसके संरक्षण पर जागरूकता उत्पन्न कराना, रैलियां, मार्च, स्थानीय क्षेत्रों में जल के लिए पदयात्रा करना, जल संरक्षण पर गीतों की प्रस्तुति, जल जनित रोगों के प्रति जागरूकता, लोक नृत्य, गीत और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘जल संरक्षण’ पर जागरूकता इत्यादि प्रमुख है।