कमरे में पंखे से लटके पिता को देख निकली बेटी की चीख, मचा कोहराम
घर के बाहर इंतजार करते रहे पत्नी और बच्चे, कमरे में फांसी पर लटक गया नशेड़ी इंद्रजीत
कमरे में पंखे से लटके पिता को देख निकली बेटी की चीख, मचा कोहराम
घर के बाहर इंतजार करते रहे पत्नी और बच्चे, कमरे में फांसी पर लटक गया नशेड़ी इंद्रजीत
बलियाः जनपद बलिया के उभांव थाना के तेलमा जमालुद्दीनपुर गांव में पत्नी बच्चों की पिटाई कर नशे में द्युत इंद्रजीत यादव (30) अपने कमरे में पंखे के सहारे फांसी पर झूल गया। जिससे उसकी मौत हो गई। जिसके बाद परिजनों में कोहराम मच गया। सूचना मिलते ही पुलिस ने आधी रात को ही शव को कब्जे में ले लिया और पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। घटना के बाद से ही पत्नी लक्ष्मिना देवी और चार पुत्र पुत्रियों का रो रोकर बुरा हाल है। लक्ष्मिना देवी ने बताया कि पिछले करीब छ माह से उसके पति रोज शराब पीकर नशे में ही घर पहुंचते थे और गाली गलौज कर सो जाते थे। कल रात करीब दस बजे नशे में द्युत उसके पति घर आते ही उसे और बेटी की पिटाई करने लगे। जिससे परेशान होकर सभी बच्चों के साथ वह घर के बाहर बैठ गई। ताकि उसका पति सो जाएं तो बच्चों के साथ वह अंदर कमरे में जाकर सो सके। इस बीच रात करीब 11 बजे इंद्रजीत यादव ने कमरे में पंखे के सहारे दुपट्टे से लटकर फांसी लगा ली। लक्ष्मिना ने अपनी बड़ी पुत्री शिवांगी उर्फ माधुरी को कमरे में पिता की स्थिति देखने के लिए भेजा लेकिन कमरे में पहुंचते ही शिवांगी की चीख निकल गई। उसके पिता कमरे में पंखे से लटके थे। जिसके बाद परिजनों में चीख पुकार मच गई। मृतक गांव के चट्टी पर पान की दुकान करता था और अक्सर शराब के नशे में घर में हंगामा करता था। नशे की हालत में ही इंद्रजीत ने देर रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया।
मां-बाप के मौत के बाद से ही बदल गई थी एकलौते पुत्र इंद्रजीत की जीवनशैली
पिता कोरोनाकाल और मां की कैंसर से हुई थी मौत
– अपने मां बाप को खोने के बाद से ही एकलौते पुत्र इंद्रजीत यादव की जीवनशैली बदल सी गई थी। पिता स्व. बलिराम यादव की कोरोनाकाल मौत हो गई थी जबकि मां ने कैंसर से साथ छोड़ दिया। जिनके जाने के बाद से ही इंद्रजीत यादव अपने परिवार और जिम्मेदारी से पूरी तरह से बेपरवाह सा हो गया था। हर दिन पान की दुकान पर जाना और देर रात शराब पीकर नशे में आकर घर में हंगामा करना ही उसकी दिनचर्चा हो गई थी। पत्नी और उसके चारों बच्चों के लिए उसका ऐसा व्यवहार सामान्य सा हो गया था।