यूट्यूब पर जाना जाली नोट छापने का तरीका, 14 लाख नकली नोट के साथ पुलिस के हत्थे चढ़े
मऊ से गोरखपुर तक फैला है जाली नोटों का जाल

यूट्यूब पर जाना जाली नोट छापने का तरीका, 14 लाख नकली नोट के साथ पुलिस के हत्थे चढ़े
मऊ से गोरखपुर तक फैला है जाली नोटों का जाल
पुलिस को मिली बड़ी कामयाबीः मऊ में 14 लाख के नकली नोट के साथ तीन गिरफ्तार
तीन अंर्तजनपदीय शातिर अपराधी गिरफ्तार
01 लाख 17 हजार के असली नोट भी बरामद
मऊः फिल्मी स्टाइल में जेल में मिले तीन शातिर बदमाशों ने यूट्यूब पर जाली नोट छापने का तरीका जाना और मऊ से गोरखपुर तक जाली नोट का जाल बिछा दिया। 14 लाख के नकली नोट के साथ तीनों पुलिस के हत्थे चढ़ गए तो जिंदगी में सफलता के शार्ट कर्ट का नशा उतर गया। पुलिस अधीक्षक मऊ अविनाश पांडेय के देखरेख में चलाएं जा रहे अपराध/अपराधियों के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान के तहत मऊ पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। मऊ एसओजी/स्वाट/सर्विलांस टीम और कोपागंज थाना पुलिस के संयुक्त प्रयास से नकली नोट का धंधा करने वाले तीन को पुलिस ने दबोच लिया। जिनके पास से पुलिस ने एक कार से प्लास्टिक के तीन झोले में रखे 14 लाख 11 हजार मूल्य के नकली नोट और एक लाख 17 हजार 400 मूल्य के असली नोट बरामद किया है। नकली नोटों में 500, 200 और सौ के नोट शामिल है।
पुलिस को यह सफलता मुखबीर की सूचना पर काछीकला अंडर पास के पास सघन छापामारी और घेराबंदी के घंटों प्रयास के बाद मिली। स्वीफ्ट डिजायर कार की डिग्गी से एक प्रिमियर प्रिन्टर मशीन, तीन रिम पेपर बरामद हुआ। पकड़े गए तीनों की पहचान अंकुर कुमार बिन्द उर्फ रवि ग्राम निवासी हाटा थाना युसुफपुर मुहम्मदाबाद जनपद गाजीपुर, सुरेन्द्र सागर सिंह सोनकर उर्फ रविन्द्र पुत्र अर्जुन प्रसाद ग्राम तकिया थाना राबर्टसगंज जनपद सोनभद्र और कुणाल यादव पुत्र गरजू यादव ग्राम कान्दर थाना सैदपुर जनपद गाजीपुर निवासी के रुप में की गई।
गिरफ्तार अभियुक्तों ने पुलिस को बताया कि सभी फर्जी नोटों को प्रिटिंग मशीन से छापते है तथा अन्य जनपदों में भ्रमण कर जनता को धोखे से फर्जी नोट देकर असली नोट ले लेते है। बरामद असली नोट भी इन्हीं नकली नोट बदलकर मिले थे। बाकी नकली नोटों को वे लेकर गोरखपुर बदलने हेतु ही जा रहे थे। इस बीच रास्ते में ही पुलिस ने दबोच लिया। अभियुक्त अंकुर बिन्द पूर्व में भी जनपद सोनभद्र से जेल जा चुका है। जेल में ही इन तीनों की आपस में मुलाकात हुयी थी और तीनों ने मिलकर जमानत के बाद यू-ट्यूब पर जाली नोट बनाने का तरीका सीख लिया और जाली करेंसी बनाने के धंधे में उतर ग। धीरे-धीरे कई लाख रुपये छापकर उक्त कुणाल व सुरेन्द्र के माध्यम से आसपास के जनपदों में खपाने लगे।