“या हुसैन!” की गूंज, आग का खेल और अकीदत की रौशनी में नहाया बेल्थरारोड
मुहर्रम के जुलूस ने रच दिया जज़्बे का नया इतिहास!




“या हुसैन!” की गूंज, आग का खेल और अकीदत की रौशनी में नहाया बेल्थरारोड
मुहर्रम के जुलूस ने रच दिया जज़्बे का नया इतिहास!
बलिया: जनपद बलिया के बेल्थरारोड में शनिवार की रात बेल्थरारोड की सड़कों पर कुछ ऐसा नज़ारा देखने को मिला जिसने हर आंख को हैरान, और हर दिल को हुसैनी जज़्बे से सराबोर कर दिया। जैसे ही घड़ी ने रात के 9 बजाए, पूरे शहर की रफ्तार थम गई और शुरू हुआ मोहर्रम का वो जुलूस—जिसे देखकर हर कोई बस यही कह उठा: “या हुसैन!”
36 ताजिया कमेटियां, सैकड़ों मातमदार, कंधों पर ताजिया, ढोल-ताशों की धड़कन, और डीजे पर गूंजते मातमी नग्मे… ये कोई आम जुलूस नहीं था, ये था आस्था, जुनून और अकीदत का विस्फोट! हर मोड़ पर आंसुओं से भीगा हुआ मातम, तो कहीं आग से खेलते करतबबाज़, लाठी घुमाते खिलाड़ी… पूरे शहर में जैसे हुसैनी जुनून बह रहा हो।
आग का खेल भी, हुसैनी खेल भी!
कई जगहों पर नौजवानों ने आग के घेरे में घुसकर ऐसे-ऐसे करतब दिखाए कि भीड़ से वाह-वाह की गूंज उठी। लाठियों की बारीक कलाकारी ने सबका ध्यान खींचा, और हर किसी की जुबां पर एक ही नाम – “हुसैन!”
सुरक्षा ऐसी कि परिंदा भी पर न मार सके!
सीओ, उभांव थाना प्रभारी और सीयर चौकी इंचार्ज खुद सड़कों पर डटे रहे। चप्पे-चप्पे पर पुलिस की पैनी निगाह और भारी पुलिस बल की तैनाती ने ये सुनिश्चित किया कि हर कदम पर अमन कायम रहे।
अवाया करबला की ओर बढ़ता जुलूस
जब ताजियादारों का काफिला अवाया करबला की ओर बढ़ा तो लगा जैसे जमीं पर खुद आसमानी रहमत उतर आई हो। गुलाबजल, अगरबत्तियों की महक और रोशनी से जगमगाती सड़कों पर जब नारे गूंजे “या हुसैन! या हुसैन!” तो पूरा माहौल रूहानी बन गया। देर रात करबला में सभी ताजिया दफन किए गए।
नज़ारा ऐसा कि कहानियों में लिखा जाएगा!
बेल्थरारोड का ये मुहर्रम, सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि आस्था, कला और सामाजिक सौहार्द्र की मिसाल बन गया। जिसने देखा, वही कहता रहा कि “ऐसा जुलूस सालों में एक बार ही देखने को मिलता है!
और हां, याद रखिए… ये सिर्फ जुलूस नहीं था, ये था इमाम हुसैन की कुर्बानी को सलाम करने का जुनूनी सैलाब!
“हर किसी ने मोबाइल से वीडियो बना लिए, लेकिन जो जज़्बा दिल में उतरा… वो कैमरे में नहीं, सीधा रूह में दर्ज हो गया!”





