अफसरशाही: होठों में अपनी बात दबाकर दफ्तरों से बाहर निकल रहे सत्ताधारी नेता
दफ्तरों में फाइलो की तय हो रही कीमत, बिना चढ़ावा नहीं हो रहा काम
सरकारी कार्यालयों में आमजन का खूब हो रहा आर्थिक शोषण
बलिया: भाजपा सरकार में अफसरशाही चरम पर है। जिसके कारण सत्ताधारी नेताओं पर यह गाना सटीक बैठता है कि होठों में ऐसी बात मैं दबाकर चली आई, खुल जाएं, वहीं बात तो दुहाई है दुहाई… जी हां, हम बात कर रहे है भाजपा सरकार में तहसील, थाना, ब्लॉक, अस्पताल, बिजली समेत लगभग सभी सरकारी दफ्तरों में अफसरशाही की और सत्ताधारी नेताओं के बेबसी की।
भाजपा सरकार में जीरो टॉलरेंस का दावा हवाहवाई हो गया है। लगभग सभी सरकारी दफ्तरों में फाइलों को आगे बढ़ने और निस्तारण की कीमत पहले ही तय हो जा रही है और बिना चढ़ावा कोई काम नहीं हो रहा है। जिससे सरकारी कार्यालयों में आमजन का खूब आर्थिक शोषण हो रहा है और उच्चाधिकारी के साथ ही सरकार अनजान बनी हुई है।
भाजपा सरकार में अफसरशाही ऐसी है कि अधिकारियों के सामने जनप्रतिनिधियों तक की नहीं चल रही है। क्षेत्रीय नेता तो दफ्तरों से अक्सर मुंह लटकाकर बाहर निकलते देखे जा सकते है लेकिन सरकार में होने के भ्रम का मायाजाल बनाए रखने के लिए कुछ कह भी नहीं पा रहे है। अधिकांश सत्ताधारी नेता तो सीधे अफसरशाही के शिकार है लेकिन होठों में अपनी बात दबाकर रखने को विवश है।
मामला नंबर 1.
बेल्थरारोड विधायक निधि से खंड विकास सीयर द्वारा बनवाए प्रवेश द्वार पर विधायक और उनके पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का ही फोटो प्लास्टिक से ढंक दिया गया और नेता देखते रह गए।
मामला 2
बेल्थरारोड में बिजली विभाग के एक अधिकारी ने क्षेत्र के कई दिग्गज नेताओं को अपना पावर दिखाया और उनके द्वारा किए गए पैरवी को ठेंगा दिखा दिया। जिसे लेकर कई बार नेता अधिकारी के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। इसी विभाग के एक अधिकारी क्षेत्र के चाय पान की दुकानों पर खुलेआम राजनीति करते है।