सोनाडीह का गर्दभ मेलाः पितृपक्ष में गधा-खच्चर का लाखों का होता है कारोबार
अच्छी नस्ल के खच्चर के लिए दूर दूर से आते है खरीदार
बलियाः बलिया के विख्यात ददरी मेला की तरह ही बेल्थरारोड के गर्दभ मेला अपनेआप में अलबेला है। क्षेत्र के विख्यात मां भागेश्वरी परमेश्वरी धाम सोनाडीह मंदिर स्थल पर पितृपक्ष में हर साल जिउतिया के दिन से गधा खच्चर का मेला लगता है और चार से पांच दिन तक मेला चलता है। करीब 52 बिगहा के यहां के परिसर में हजारों की संख्या में गधा और अच्छी नस्ल के खच्चर लाएं जाते है और पांच दिन में ही लाखों का कारोबार कर वापस लौट जाते है। बुधवार को मेला का समापन हो गया। अधिकांश व्यापारी अपने खच्चर और गधो के साथ लौट गए। मेले में इस बार खास रौनक नहीं रहा लेकिन एक खच्चर की बोली मंगलवार को अधिकत्तम 80 हजार पांच सौ लगाई गई। मेले में दूरदराज से आये खरीदारी और बिक्री करने वाले व्यापारियों का जमावड़ा लगा था।
कन्नौजिया समाज के लोग करते रहे खरीदारी
मेले में कन्नौजिया समाज के लोगों द्वारा इसकी खरीद बिक्री की जाती है। जिनके द्वारा ईंट ढोने, कपड़ा ढोने और अन्य भारी सामान की ढुलाई में गधा और खच्चरों का प्रयोग किया जाता है। जबकि कुछ शौकिन कन्नौजिया परिवार इन अच्छे नस्ल के खच्चरों को चेतक दौड़ में भी ले जाते हे। गधे और खच्चरों के इस विशाल मेले में यूपी के लखनऊ, बाराबंकी, गोरखपुर, मऊ, आजमगढ़, देवरिया, बलिया, अलीगढ़, वाराणसी, प्रयागराज के अलावा बिहार तक के व्यापारी मेले में आते है। मेले में हजारों की संख्या में गध और खच्चर बेचने के लिए लोग पहुंचते है। मेला में गधा, खच्चर और खच्चरी तीन तरह के नस्ल को लाया जाता है। अधिकांश दूर के व्यापारी छोटे गधा लाकर बड़े खच्चर अपने साथ ले जाते है। जिन्हें पहाड़ी इलाकों में सामान ढुलाई के लिए लगाया जाता है। यहां खच्चरों की बोली उसके रंग, घोड़ा जैसा डिजाइन और तेज दौड़ने के आधार पर लगाया जाता है। मेले में खच्चर व गदहे की कीमत उसके साइज व क्वालिटी के हिसाब से ही अधिक कम होता है।
साढ़े चार फीट के घोड़े जैसी गति वाले खच्चर की बोली लगी 80 हजार 5 सौ
मेला में बलिया के सतेंद्र कन्नौजिया के एक गधे की आखरी बोली 80 हजार 5 सौ लगाई गई। जिसे देवरिया जिले के बरडीहा गांव के शैलेंद्र कन्नौजिया ने खरीदा। इस खच्चर को अबलक (घोड़े जैसा आधा काला-आधा सफेद) होने के कारण ऊंची बोली लगाई गई। करीब साढ़े चार फीट के इस खच्चर की खासीयत उसकी तीव्र गति बताई जा रही है। जिसकी दौड़ रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा बताई जा रही है। जिसे खरीदार घोड़ा रेस में लगाता है।