यह अजब मिजाज का शहर है…. गुमान एकता का और गुटबाजी से नगर में बढ़ा रहे मनमुटाव!
निकाय चुनाव के चार माह बाद भी जारी है गुटबाजी का गुरुर
यह अजब मिजाज का शहर है…. गुमान एकता का और गुटबाजी से नगर में बढ़ा रहे मनमुटाव!
निकाय चुनाव के चार माह बाद भी जारी है गुटबाजी का गुरुर
बलियाः कहते है राजनीति और जंग में सब जायज होता है बावजूद जंग थमने के बाद इंसानियत, भाईचारा और आपसी लेहाज का लाखों उदाहरण आज भी भारतीय राजनीति और देश की संस्कृति पर गर्व करने का कारण बनते है। लेकिन बागी बलिया जनपद के अलहदा तहसील बेल्थरारोड का आदर्श नगरपंचायत का माहौल पूरी तरह से दूषित ही चल रहा है। निकाय चुनाव बितने के करीब चार माह बाद भी यहां गुटबाजी का गुरुर चरम पर है। विगत महावीरी झंडा पूजा जुलूस, मानस मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह, बिरहा मुकाबला, भक्ति जागरण और हनुमान गढ़ी मंदिर पर विशाल भंडारा जैसे सार्वजनिक आयोजनों में भी यह साफ दिखा। मानो यह अजब मिजाज का शहर है…। यूं तो नगर में लोग आपसी एकजुटता पर गुमान करने का दावा करते है लेकिन नगर में आपसी मनमुटाव के कारण गुटबाजी बनाने का कोई मौका भी नहीं छोड़ते। नगर में एक दबंग बाबा की इंट्री और उनके भड़काऊ बयानों के कारण तो कई बार माहौल तनावपूर्ण हुआ लेकिन लोगों की सुझबुझ से स्थिति सामान्य बना रहा। जबकि प्रशासनिक अमला मूकदर्शक बना रहा। निकाय चुनाव में एकतरफा विरोध का सुरुर मानो आज भी नगर में जारी है। जबकि भारतीय राजनीति में चुनाव गई, बात गई के तर्ज पर चुनाव बाद अक्सर बड़े स्तर पर फेरबदल और गठबंधन की राजनीतिक चलती रहती है लेकिन कभी भी व्यक्तिग रंजिश की गांठ नहीं दिखती। लेकिन निकाय चुनाव के अलहदा अड़ियल मिजाज से नगर में आज भी गुटबाजी की मोटी लकीर से तनाव की स्थिति बनी हुई है। गुटबाजी की ही देन है कि 13 वार्ड वाले बेल्थरारोड नगर में पहली बार स्वर्णकार और जायसवाल समाज से एक भी सभासद चुनकर इस बार नगरपंचायत में नहीं पहुंच सके।
तनाव और गुटबाजी से फायदा किसका!
– नगर में गुटबाजी और तनाव से किसका फायदा होगा! यह यक्ष प्रश्न है। जिस पर हर किसी को विचार करना चाहिए। चुनाव बाद नगर के विकास में एकसाथ चलने की परंपरा को स्वस्थ्य राजनीतिक का उदाहरण माना जाता है।