स्वामी शिवनारायण साहेब जी महाराज का 306वां अवतार दिवस आज
अमेरिका और वेस्टइंडिज से पहुंचे अनुयायी, दस देश और कई राज्यों से भी पहुंचेंगे अनुयायी

बलियाः जनपद बलिया के बेल्थरारोड तहसील क्षेत्र के ससना बहादुरपुर गांव में संत शिरोमणि श्रीश्री 108 स्वामी शिवनारायण साहेब जी महाराज का 306 वां अवतार दिवस समारोह बुधवार को धूमधाम के साथ मनाया जायेगा। विश्वगुरु संत अमरजीत जी महाराज के देखरेख में इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। अवतार दिवस पर पर अंतराष्ट्रीय संत सम्मलेन, ज्ञान यज्ञ व भण्डारे का आयोजन भी होगा। इसके लिए देश के विभिन्न प्रांतों समेत 10 देशों और दर्जनों प्रांत के अनुयायी पहुंचेंगे। वेस्टइंडीज से अनुयायी और परम शिष्य गिरिराज सिंह उर्फ बाॅबी एवं अमेरिका से धर्मराज सिंह आ चुके है और अन्य संतों, भक्तों का आगमन जारी है।
112 देशों में है अनुयायी, बेल्थरारोड में समाधी स्थल
संत शिरोमणि श्री श्री 108 स्वामी शिवनारायण जी संतपति जी महाराज के साथ 112 देशों की आस्था जुड़ी है और इनके लाखों अनुयायी है। हर वर्ष यहां होने वाले जन्मोत्सव समारोह में मारिशस, अमेरिका, नेपाल, बंगलादेश, भूटान, अफ्रीका समेत अनेक देश और बिहार, यूपी, आसाम, दिल्ली समेत अनेक प्रांतों के अनुयायी और संत का आगमन होना होता है। बलिया जनपद के बेल्थरारोड स्थित ससना बहादुरपुर गांव में इनकी समाधी स्थल है। जहां हर साल भव्य आयोजन होता है। समारोह में यहां मुसलमान भाई भी मत्था टेकते है। जहां इंसानियत और सदाचार का संदेश दिया जाता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुल्की महंत बाबा लल्लन दास जी महाराज, राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विश्व सचिव बाबा पलटन दास जी महाराज, प्रधान प्रतिनिधि रमाशंकर यादव बाउल, प्रतीक राज सिंह, रविशंकर सिंह पिक्कू, इंद्रप्रताप सिंह, राजेंद्र प्रताप सिंह समेत अनेक लोग की प्रमुखता से लगे है।
कैथी लिपी में 296 वर्ष पूर्व किया था गुरु अन्यास ज्ञान दीपक ग्रंथ की रचना
विश्वगुरू संत अमरजीत साहेब की मौजूदगी में मुल्की महंथ लल्लन दास जी महाराज ने देर शाम बताया कि संतपति स्वामी शिव नारायण जी महाराज ने करीब 296 वर्ष पूर्व महज सात वर्ष की अल्प आयु में गुरु अन्यास ज्ञान दीपक ग्रंथ की रचना की थी। कैथी भाषा में महाराज द्वारा स्वहस्तलिखित ग्रंथ बलिया जनपद के ससनाधाम में ही सुरक्षित रखा गया है और इसका पूरी आस्था के साथ यहां पाठ किया जाता है। उक्त ग्रंथ आरंभ, योग, साहू, कामिनी, यम, भक्ति, दस अवतार, चारयुग, चार नायिक व भक्त खंड के तहत 12 भागों में बंटा है। जिसके श्रवणमात्र से लोगों के हर दर्द व कष्ट दूर हो जाते है। जिसके प्रति विश्व के 112 देशों में फैले अनुयायियों की आस्था अटूट है और हर वर्ष यहां विश्व के कई देशों से अनुयायी यहां पहुंचते भी है।