

संतपति जी के अवतरण दिवस पर जुटे 3 देश और 25 प्रदेशों के भक्त
विश्वस्तरीय संतो के मंच पर हुआ 301 वर्ष पुराने स्वहस्त रचित गुरु अन्यास ज्ञान दीपक ग्रंथ
समारोह में शिवनारायण पंत नेपाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संग विश्वगुरु ने दिखाई संतपति जी के अनुरूप जीवन की दिशा
बलिया: जनपद बलिया के बेल्थरारोड के ससनाधाम में संत शिरोमणि श्री श्री 108 स्वामी शिवनारायण जी संतपति महाराज के 309वें अवतरण दिवस पर आस्था का सागर उमड़ पड़ा। भारत के 25 प्रदेशों के साथ नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से आए श्रद्धालुओं ने जयकारों से पूरा क्षेत्र गुंजा दिया।
समारोह की खास आकर्षण रही महाराज द्वारा 301 वर्ष पूर्व रचित “गुरु अन्यास ज्ञान दीपक” ग्रंथ, जिसे हजारों भक्तों ने दर्शन कर नमन किया। विश्वगुरु अमरजीत जी महाराज और नेपाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पलटन दास जी महाराज की अगुवाई में समाधि स्थल पर पूजन और भव्य भंडारा हुआ।
इस मौके पर नेपाल के मेयर नागेश्वर प्रसाद सिंह, कुलपति डॉ. हरिकेश सिंह, महंत लल्लन दास सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे। विश्वगुरु अमरजीत जी महाराज ने कहा, “संतपति जी का संदेश आज भी 112 देशों में मानवता का दीप जला रहा है।”
खास बात यह रही कि संतपति जी महाराज के समाधि स्थल पर मुस्लिम श्रद्धालु भी मत्था टेककर आशीर्वाद लेते नजर आएं। महिलाओं ने मंगलगीत गाकर और शोभायात्रा में ध्वज पताका लेकर आस्था का अनोखा उदाहरण पेश किया।
सच में, ससनाधाम में गुरुवार को भक्ति, एकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसे शब्दों में बाँधना मुश्किल है।
संत शिरोमणि श्री श्री 108 स्वामी शिवनारायण जी संतपति जी महाराज के 309 वें अवतरण दिवस समारोह के भव्य आयोजन में भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, भूटान समेत तीन देश और 25 प्रदेशों के हजारों भक्त एवं संत शामिल हुए। जबकि अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के भक्त सीधे वीडियो कॉलिंग के माध्यम से ऑनलाइन डिजिटल जुड़े और संतपति जी महाराज का जयकारा लगाया। इस दौरान स्वामी शिवनारायण जी महाराज द्वारा स्वहस्त रचित 301 वर्ष पुरानी गुरु अन्यास ज्ञान दीपक ग्रंथ का भी हजारों भक्तों ने दर्शन किया और उसका गायन हुआ। विश्वस्तरीय संतो के मंच पर शिवनारायण पंत नेपाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पलटन दास जी महाराज की मौजूदगी में विश्वगुरु अमरजीत जी महाराज ने समाधि स्थल पर विधिवत पूजन किया और शुद्व हलवा का प्रसाद का चढ़ावा चढ़ाकर भव्य भंडारा प्रारंभ किया।
इस मौके पर कई प्रांतों के हजारों संतों द्वारा सामूहिक भजन, कीर्तन किया गया। समारोह में मुल्की महंत लल्लन दास जी महाराज, नेपाल के मेयर नागेश्वर प्रसाद सिंह, छपरा बिहार के कुलपति डा हरिकेश सिंह, डा महेंद्र सिंह, अध्यक्ष कुंवर बहादुर सिंह उर्फ झाबर भाई, सचिव तेज बहादुर सिंह, प्रतीकराज सिंह, श्रीराणा प्रताप सिंह, पुजारी सुरेश सिंह, मनोज सिंह, राजेंद्र प्रताप सिंह राजन समेत हजारों लोग मौजूद रहें। बड़ी संख्या में महिलाएं भी पहुंची और समारोह में मंगलगीत गाते हुए स्वामी जी का स्मरण किया। इसके पूर्व गुरुवार की सुबह स्वामी शिवनारायण जी महाराज की ससना धाम से पूरे गांव में स्वामी जी की भव्य झांकी एवं भव्य शोभायात्रा निकाला। जिसमें हजारों की संख्या में महिलाएं ध्वज पताका लेकर शामिल हुई।
विश्व धर्मगुरु ने दिया संदेश
– श्री शिवनारायण पंत के विश्वगुरु अमरजीत जी महाराज ने स्वामी जी के संदेश से विश्व को एकसूत्र में जोड़ने का संदेश देते हुए कहा कि अभी 112 देशों में स्वामी जी के भक्त हैं और स्वामी जी की रचना अन्यास दीपक ग्रंथ, मानव जीवन को जीने की सही कला सिखाती है।
नेपाल मेयर नागेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि संतो के संदेश को जीवन में उतरने से ही मानव जीवन के कल्याण संभव है।
संतपति जी महाराज के समाधी स्थल से जुड़ी है 112 देशों की आस्था, मुसलमान भी टेकते है मत्था
– संत शिरोमणि श्री श्री 108 स्वामी शिवनारायण जी संतपति जी महाराज के समाधी स्थल बेल्थरारोड के ससनाधाम से विश्व के 112 देशों की आस्था जुड़ी है। जहां समारोह में मुसलमान भाई भी मत्था टेकते है। श्री शिवनारायण पंत के विश्व धर्मगुरु अमरजीत जी महाराज के देखरेख में यहां हर वर्ष कई देश और प्रांत के हजारों लोग पहुंचते हैं। इस बार भी नेपाल भूटान और बांग्लादेश के अलावा अलावा बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, दिल्ली, असम, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश समेत अनेक प्रांत के लोग शामिल हुए।
301 वर्ष पुरानी अन्यास ज्ञान दीपक ग्रंथ की विशेषता
– संतपति स्वामी शिव नारायण जी महाराज ने करीब 301 वर्ष पूर्व महज सात वर्ष की अल्प आयु में गुरु अन्यास ज्ञान दीपक ग्रंथ की रचना की थी। कैथी भाषा में महाराज द्वारा स्वहस्तलिखित ग्रंथ बलिया जनपद के ससनाधाम में ही सुरक्षित रखा गया है और इसका पूरी आस्था के साथ पाठ किया जाता है। उक्त ग्रंथ में आरंभ, योग, साहू, चोर, गवन, कामिनी, यम, भक्ति, दस अवतार, चारयुग, चार नायिक एवं भक्त खंड के तहत 12 भागों में बंटा है। जिसके श्रवणमात्र से लोगों के हर दर्द व कष्ट दूर हो जाते है।
तीन देशों के भक्तों संग गूंजा ससनाधाम: 301 साल पुराने ग्रंथ के दर्शन को उमड़ा जनसैलाब








