वसीयत मामले में नायब तहसीलदार पर लगा रिश्वत मांगने का आरोप
पीड़ित ने डीएम को ज्ञापन देकर कार्रवाई की लगाई गुहार
बलिया : पत्रावली निस्तारण में किए जाने वाले अनावश्यक विलंब के कारण अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप पहले भी लगते रहे है। ताजा मामला बलिया जनपद के बेल्थरारोड तहसील अंतर्गत उभांव थाना के अतरौल चक मिलकान निवासी अंकुश यादव का है। जिसने बेल्थरारोड नायब तहसीलदार पर वसीयत के मामले में रिश्वत मांगने का सीधे आरोप लगाया है और डीएम, एसडीएम को लिखित पत्रक भेजकर कार्रवाई की मांग की है। जबकि वसीयत के मामले को निर्धारित समयावधि में निस्तारण करने को लेकर शासन प्रशासन पहले से ज्यादा सक्रिय है। पीड़ित अंकुश यादव ने आरोप लगाया है कि उसके दादा परशुराम यादव ने उसे और उसके भाई अंकित यादव के नाम वसीयत किया है। जिसमें किसी तरह की आपत्ति नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता दिलरोज अहमद ने बताया कि नियमानुसार किसी भी तरह का वसीयत हर हाल में मालिक के मृत्यु के 35 दिन के अंदर हो जाना चाहिए। दफा यूपी आरसी एक्ट 34 के तहत इसके लिए नामांतरण पत्रावली को नायब तहसीलदार न्यायालय में प्रस्तुत करना होता है। लेकिन यहां बिना किसी आपत्ति के महीनों से नामांतरण (वसीयत) की फाइल को लंबित रखा गया है। इस बीच पीड़ित से नायब तहसीलदार द्वारा रिश्वत की मांग की शिकायत के बाद अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आपको बता दें कि बेल्थरारोड के तत्कालीन तहसीलदार न्यायालय में भी रिश्वत मांगने का मामला लंबे समय तक चर्चा में रहा लेकिन मामले में उच्चाधिकारियों की चुप्पी और स्थानीय स्तर पर लीपापोती की कार्रवाई ने यहां भ्रष्टाचार की जड़ को और भी मजबूत कर दिया है। वही अधिवक्ता दिलरोज अहमद ने एक अन्य कुतुबद्दीन बनाम खिलाड़ी मौजा सीयर के मामले में नायब तहसीलदार दीपक सिंह पर बिना बहस किये एक पक्षीय आदेश करने का आरोप लगाया है। इसका शिकायती पत्र अधिवक्ता द्वारा मण्डलायुक्त आजमगढ़ को भेज गया है।
आरोप मनगढ़ंत और निराधार
भ्रष्टाचार के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए नायब तहसीलदार दीपक सिंह ने बताया कि अधिवक्ता और वसीयत के मामले में आवेदक द्वारा लगाए गए सभी आरोप मनगढ़ंत और बेबुनियाद है। न्यायालय के वादों को साक्ष्य और नियमों के तहत ही निस्तारित किया जाता है। वादों में मनमाना आदेश के लिए अधिवक्ता का ऐसा आरोप लगा रहे है। लेकिन वे किसी दबाव में आने वाले नहीं है।