अंचल ने सामंतवाद को कुचल दी समाजवादी छाया, सीयर से बंगाल तक लहराया परचम
पश्चिम बंगाल में तीन माह में चार विधायक को बना दिया समाजवादी
2 मई को शारदानंद अंचल की 13वीं पुण्यतिथि पर बेल्थरारोड में जुटेंगे सपाई दिग्गज
बलियाः सामंतवाद को कुचलकर आमजन की आवाज बने शारदानंद अंचल ने सदैव पूर्वांचल में समाजवादी छाया की मोटी चादर बनाएं रखा। जिसके कारण वे समाजवादी पुरोधा के रुप में आज भी जाने जाते है। शारदानंद अंचल सीयर विधानसभा (वर्तमान में बेल्थरारोड) से चार बार विधायक और तीन बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। मंगलवार 2 मई को उनकी 13वीं पुण्यथिति है। बेल्थरारोड तहसील के पशुहारी गांव में सामान्य किसान परिवार के घर में जन्मे स्व. अंचल सदैव समाजवादी नेता पूर्व पीएम चैधरी चरण सिंह व राममनोहर लोहिया की राजनीति से प्रभावित रहे और स्वयं किसानों, गरीबों व बेसहारों के दर्द को देख कराह उठते थे। छात्र जीवन से ही युवाओं के लड़ाई को भी लड़ते रहे। अपना राजनीतिक सफर उन्होंने कापरेटिव राजनीति से शुरु की। सहकारिता आंदोलन से भी जुड़े और किसानों के दर्द को राष्ट्रीय पटल तक पहुंचाया। लोकदल, जनता दल से लेकर समाजवादी पार्टी के गठन तक वे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे और बाद में सपा में जिला से लेकर प्रदेश स्तर के विभिन्न पदों पर अपनी प्रमुख भूमिका निभाई। बाद में नेता जी मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश में भी पार्टी को मजबूती से खड़ा किया। पश्चिम बंगाल में तो अपने नेतृत्व क्षमता से उस समय के कई दिग्गज राजनेताओं को वैचारिक रुप से सपा के झंडे तले आने को विवश कर दिया। वहीं इनके नेतृत्व में महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश में तीन-चार विधायक भी सपा के खाते में आ गए। जिसके कारण वे सदैव नेता जी के विश्वासपात्र व करीबी रहे। 1985 में इंदिरा गांधी की हत्या के कारण देशभर में कांग्रेस की जबरदस्त सहानुभूति लहर के बावजूद अपने बूते लोकदल से शारदानंद अंचल पहली बार सीयर विधानसभा से विधायक हुए। उसके बाद 1989 में जनता दल से 1993 व 2002 में सपा से विधायक बनकर चार बर सदन तक पहुंचे। इसमें वे तीन बार पीडब्ल्यूडी-बेसिक शिक्षा, पशुधन व मत्स्य एवं सहकारिता मंत्री रहे। बतौर सहाकरिता मंत्री अंचल ने जहां साधन सहकारी समितियों को दुरुस्त किया, वहीं आर्थिक पैकेज का प्लान बनाकर किसानों को भी सीधे लाभ पहुंचाया। बतौर शिक्षा मंत्री भी पूर्वांचल के ग्रामीण क्षेत्र में सबसे ज्यादा इंटर व डिग्री कालेज की स्थापना कराया। ताकि ग्रामीण इलाकों के प्रतिभाओं को गांव में भी उच्च शिक्षा मिल सके और हर परिवार शिक्षित बन सके। अपने कार्यकाल में उन्होंने अपने गृह क्षेत्र को तहसील का दर्जा दिलवाने के साथ ही सड़क, बिजली, पानी के साथ ही रोडवेज सुविधा, रोडवेज डीपो, मंडी व अन्य बड़ी योजनाओं को पूरा कराया।
बनवाएं दर्जनों अस्पताल लेकिन खुद की न बचा पाएं जान
– बलिया समेत पूर्वांचल के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में पीएचसी व न्यू पीएचसी की शारदानंद अंचल ने स्थापना कराया किंतु बलिया की क्षेत्रीय राजनीति के कारण चाहकर भी यहां स्वास्थ्य की कोई बेहतर सुविधा न हो सकी। 2 मई 2010 को वे सुबह ही लखनऊ से सीधे बिल्थरारोड सपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में ही भाग लेने को पहुंचे किंतु अचानक सीने में दर्द होने के कारण कार्यक्रम स्थल से घर की ओर उन्हें ले जाया गया। समय पर आवश्यक ट्रीटमेंट न मिलने से घर पहुंचने से पहले ही उनका निधन हो गया। जिसके साथ ही समाजवाद का यह मजबूत सिपाही 63 वर्ष की अवस्था में सदा के लिए विदा हो गया।
पशुहारी गांव में होगा पुण्यतिथि समारोह
बेल्थरारोड तहसील के पशुहारी गांव में मंगलवार को शारदानंद अंचल की 13वीं पुण्यथिति समारोह का आयोजन होगा। जहां उनके पुत्र और बैरिया विधायक जयप्रकाश अंचल की अगुवाई में पूर्वांचल के अनेक दिग्गज समाजवादी नेताओं का जमावड़ा होगा। कार्यक्रम में सिकंदरपुर विधायक और पूर्व मंत्री जियाउद्दीन रिजवी, पूर्व मंत्री अंबिका चैधरी, पूर्व मंत्री रामगोविंद चैधरी, जिलाध्यक्ष राजमंगल यादव, विधायक संग्राम सिंह यादव, जिलापंचायत अध्यक्ष आनंद चैधरी, पूर्व जिलाध्यक्ष आद्याशंकर यादव, डा. अनुराग गर्ग उर्फ संतोष राम, राजन कन्नौजिया समेत अनेक सपा नेता पहुंचेंगे।